बहुत सताया है गर्मी ने
वर्षा रानी जल्दी आओ.
ताप रहा सूरज सुबह से,
बेचारी धरती है जलती.
पशु पक्षी बेचैन धूप में,
अब तो वर्षा लेकर आओ.
पौधे सूख रहे बगिया में,
पानी क्यारी में कुछ डालें.
पानी में कुछ देर खेलते,
तुम काले बादल ले आओ.
छुट्टी बीत रही हैं सारी,
घर में ही हैं कैद हो गये.
दया करो अब बच्चों पर,
वर्षा रानी आ भी जाओ.
नाचेंगे मयूर स्वागत में,
बाग बगीचे हर्षायेंगे.
खेलेंगे बारिस में हम सब,
इंतज़ार न और कराओ.
बहुत सताया है गर्मी ने
वर्षा रानी जल्दी आओ.
कैलाश शर्मा
वर्षा रानी जल्दी आओ.
ताप रहा सूरज सुबह से,
बेचारी धरती है जलती.
पशु पक्षी बेचैन धूप में,
अब तो वर्षा लेकर आओ.
पौधे सूख रहे बगिया में,
पानी क्यारी में कुछ डालें.
पानी में कुछ देर खेलते,
तुम काले बादल ले आओ.
छुट्टी बीत रही हैं सारी,
घर में ही हैं कैद हो गये.
दया करो अब बच्चों पर,
वर्षा रानी आ भी जाओ.
नाचेंगे मयूर स्वागत में,
बाग बगीचे हर्षायेंगे.
खेलेंगे बारिस में हम सब,
इंतज़ार न और कराओ.
बहुत सताया है गर्मी ने
वर्षा रानी जल्दी आओ.
कैलाश शर्मा